आध्यात्मिक विचार - 21-8-2012


सभी जीवात्मायें नित्य मुक्त हैं। 

जीवात्मा स्वयं को शरीर समझने के कारण ही मोहग्रस्त हो जाती है, मोहग्रस्त जीवात्मा कर्म बन्धन में स्वयं ही बँध जाती है। 

जिस जीवात्मा को स्वयं के वास्तविक स्वरूप का अनुभव हो जाता है वह जीवात्मा शरीर में रहते हुए भी कर्म के बन्धन से मुक्त रहती है। 

आध्यात्मिक विचार - 19-8-2012


परमतत्व की प्राप्ति तत्वज्ञान से होती है, तत्वज्ञान की प्राप्ति मोह के मिटने पर होती है, वस्तु वैराग्य से मोह मिटता है, वस्तु वैराग्य केवल सत्संग से ही संभव है।