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श्रीमद् भगवद् गीता
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सकाम-भाव से कार्य करते रहोगे तो संसारिक बंधन में बंधे रहोगे, निष्काम-भाव से कर्म करने पर ही भगवान की भक्ति प्राप्त कर सकोगे।
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