मन रूपी रेत में परमात्मा रूपी सीमेंट को अच्छी तरह से मिश्रित कर लेना ही मनुष्य जीवन का एक मात्र उद्देश्य होता है।
जो व्यक्ति अपने मन को रेत के समान मानकर और परमात्मा को सीमेन्ट के समान मानकर अच्छी प्रकार से मिश्रित कर लेता है तो उसे सांसारिक बड़े से बड़े भूकम्प भी नहीं हिला पाते हैं।