जिस प्रकार वायु नाव को भटका देती है, उसी प्रकार कामनाएं व्यक्ति की बुद्धि को भटका देती हैं, बुद्धि के भटकने कारण ही मन भटकता है।
जब व्यक्ति के स्वभाव में संतुष्टि का भाव उत्पन्न होता है तभी व्यक्ति की बुद्धि स्थिर होती है और बुद्धि के स्थिर होने पर मन भी स्थिर हो जाता है।