मैं परमात्मा का अंश आत्मा हूँ, और मेरा एक मात्र परमात्मा है।
जो व्यक्ति इस तत्व को जानकर ग्रहण कर लेता है तो उस व्यक्ति के लिये संसार में जानने के लिये कुछ भी शेष नहीं रहता है।
यही सम्पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान है, इसके आगे मनुष्य को जानने के लिये अन्य कोई ज्ञान नहीं हैं।