आध्यात्मिक विचार - 16-09-2011


धन के लिये व्यक्ति को अपने चरित्र को नष्ट नहीं करना चाहिये, धन तो प्रारब्ध के अनुरुप आता-जाता रहता है। 

धन के नष्ट हो जाने से व्यक्ति का कभी नाश नहीं होता है, परन्तु चरित्र के नष्ट हो जाने से व्यक्ति का सम्पूर्ण नाश हो जाता है।