आध्यात्मिक विचार - 5-3-2012


मनुष्य शरीर स्वर्ण के किले के समान है, इस किले में मन, प्रभु का अत्यन्त सुन्दर मन्दिर है।

इस मन रूपी मन्दिर में प्रेम और सेवा के भाव रूप हीरे और मोतीयों की सीढ़ियाँ बना कर पहुँचा जाता है। 

जो व्यक्ति प्रेम और सेवा के भाव रूपी हीरे और मोतीयों को निरन्तर एकत्रित करता रहता है, उस व्यक्ति का मन रूपी मन्दिर में, एक दिन प्रभु से मिलन हो ही जाता हैं।