आध्यात्मिक विचार - 18-5-2012


वास्तविक उन्नति वह व्यक्ति कर पाता है, जो केवल स्वयं के दोषों को खोजने में सक्षम होता है।

जो व्यक्ति अनुकूलता में भगवान की कृपा, और प्रतिकूलता में केवल स्वयं को दोषी समझता है, वही व्यक्ति समस्त दोषों से मुक्त होकर अचल पद को प्राप्त होता है।