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आध्यात्मिक विचार - 23-5-2012
दुखों की उत्पत्ति स्वयं के हित की भावना से कार्य करने से होती है, और सुखों की उत्पत्ति दूसरों के हित की भावना से कार्य करने से होती है।
इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को केवल अपनी भावना को जानने का प्रयत्न करना चाहिये, वह किस भावना से कार्य कर रहा है।
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