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आध्यात्मिक विचार - 09-06-2013
जो व्यक्ति दूसरों के मन को जानने की जिज्ञासा का त्याग करके केवल स्वयं के मन को जानने की निरन्तर जिज्ञासा करता है, केवल वही व्यक्ति भक्ति-योग में स्थित हो पाता है।
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