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आध्यात्मिक विचार - 24-07-2013
जो व्यक्ति शरीर रूपी पिंजरे से मुक्त होने के लिये ही कर्म करता है केवल वही मनुष्य जीवन व्यतीत करता है, अन्यथा सभी व्यक्ति पशुओं के समान ही जीवन व्यतीत करते हैं।
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