आध्यात्मिक विचार - 13-11-2013


अनन्य भाव से प्रभु का चिंतन करना, एकान्त में रहने की इच्छा करना, किसी भी प्राणी के प्रति आसक्ति का न होना, आत्म-तत्व को जानने की इच्छा करना तथा परम-तत्व को प्राप्त करने की इच्छा का होना, यह सब तो ज्ञान होता है, और इनके अतिरिक्त जो कुछ भी है वह सब अज्ञान ही होता है।