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आध्यात्मिक विचार - 01-02-2014
सुख और दुख तो बुद्धि की कल्पना मात्र है।
सहज रूप से प्राप्त वस्तु से मन को सुख की अनुभूति और प्रयत्न करके प्राप्त वस्तु से मन को दुख की अनुभूति होती है।
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