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आध्यात्मिक विचार - 18-07-2014
क्रोध, अग्नि से भी अधिक ज्वलनशील होता है, अग्नि तो निर्जीव शरीर को भष्म करती है लेकिन क्रोध तो सजीव चरित्र को ही नष्ट कर देता है।
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