जिस व्यक्ति का आध्यात्मिक ज्ञान व्यावहारिक ज्ञान में परिवर्तित हो जाता है, केवल वही व्यक्ति दूसरों को आध्यात्मिक ज्ञान की शिक्षा देने का अधिकारी होता है।
जो व्यक्ति अधिकारी हुए बिना दूसरों को आध्यात्मिक ज्ञान की शिक्षा देने की भावना रखता है, ऎसा व्यक्ति अपने पतन के मार्ग की ओर ही चलता है।