प्रत्येक व्यक्ति वास्तविक ज्ञान से परिपूर्ण है।
प्रत्येक व्यक्ति के वास्तविक ज्ञान पर अज्ञान का आवरण रहता है।
प्रत्येक व्यक्ति को अज्ञान के आवरण को हटाने वाले ज्ञान की आवश्यकता है।
अज्ञान का आवरण हट जाने पर प्रत्येक व्यक्ति का वास्तविक ज्ञान सूर्य के समान स्वयं ही प्रकट हो जाता है।