जन्म से प्रत्येक व्यक्ति की दो ही आवश्यकतायें होती हैं, शारिरिक सुख और मन की शान्ति।
इन दोनों वस्तुओं की खोज प्रत्येक व्यक्ति संसार की वस्तुओं में करता रहता है, जबकि उसे संसार में दुख और अशान्ति के अतिरिक्त अन्य कुछ भी नहीं मिलता है।
जो व्यक्ति इन दुख और अशान्ति को सहन कर लेता है, अज्ञानता के कारण वह व्यक्ति इन्हीं को सुख और शान्ति समझ लेता है।