यह संसार भगवान का एक रंगमंच है, इस रंगमंच पर प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पूर्व भूमिका (पूर्व जन्म के कर्म) के आधार पर वर्तमान भूमिका प्राप्त हुई है।
प्रत्येक व्यक्ति अपनी भूमिका से अनभिज्ञ होने के कारण भूमिका को ही स्वयं समझते है, यही सभी मनुष्यों के पुनर्जन्म का कारण होता है।
जो व्यक्ति अपनी भूमिका को दृष्टा भाव में रहकर निभाता है, उस व्यक्ति को इस संसार रूपी रंगमंच पर पुनः भूमिका प्राप्त नहीं होती है।