आध्यात्मिक विचार - 28-11-2011


सन्यास आश्रम में स्थित व्यक्ति को केवल सांख्य के सिद्धान्तों का ही पालन करना चाहिये, और सांख्य के सिद्धान्तों के अनुभवों की चर्चा ही करनी चाहिये।

गृहस्थ आश्रम में स्थित व्यक्ति को केवल कर्म के सिद्धान्तो का ही पालन करना चाहिये, और कर्म के सिद्धान्तों के अनुभवों की चर्चा ही करनी चाहिये।

ब्रह्मचर्य आश्रम में स्थित व्यक्ति को सांख्य और कर्म के सिद्धान्तों की चर्चा कभी नहीं करनी चाहिये, क्योंकि ब्रह्मचर्य आश्रम में स्थित व्यक्ति को इनमें से किसी भी सिद्धान्तों का अनुभव नहीं होता है। 

जो व्यक्ति इन दोनों सिद्धान्तों से उपर उठ जाता है, केवल वही व्यक्ति दोनों सिद्धान्तों की चर्चा करने का अधिकारी होता है, चाहे वह व्यक्ति वर्तमान में सन्यास आश्रम में स्थित होता है, या गृहस्थ आश्रम में स्थित होता है।