प्रत्येक व्यक्ति हमारे स्वयं लिये दर्पण के समान होता है, दर्पण हमें वही दिखलाता है जैसा हम स्वयं होते हैं, संसार में सभी व्यक्तियों में गुण और दोष एक समान रूप में स्थित रहते हैं।
जिस वक्त हम किसी व्यक्ति की अच्छाई का वर्णन करते हैं उस वक्त हमारे अन्दर गुणों की प्रधानता होती है, तब हमारे द्वारा अच्छा कर्म हो रहा होता है।
जिस वक्त हम किसी व्यक्ति की बुराई का वर्णन करते हैं उस वक्त हमारे अन्दर दोषों की प्रधानता होती है, तब हमारे द्वारा बुरा कर्म हो रहा होता है।