आध्यात्मिक विचार - 11-11-2013



जिस प्रकार जिस स्थान के अन्दर निरन्तर भगवान की मूर्ति स्थित रहती है, तो वह स्थान मन्दिर बन जाता है। 

उसी प्रकार जिस मन के अन्दर निरन्तर भगवान का नाम स्थित रहता है, तो वह मन ही मन्दिर बन जाता है।