जिस व्यक्ति में जितनी अधिक कामनायें होती है, वह व्यक्ति उतना ही निर्धन होता है, और जिस व्यक्ति में जितनी कम कामनायें होती है, वह व्यक्ति उतना ही अमीर होता है।
लेकिन जो व्यक्ति हर परिस्थिति में संतुष्ट रहता है, उस व्यक्ति की दृष्टि में संसार में न तो कोई अमीर होता है, और न ही कोई निर्धन होता है।