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आध्यात्मिक विचार - 16-11-2011
संसार में कोई भी व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति की भावना को आहत कभी नहीं करता है।
यदि किसी व्यक्ति की भावना आहत होती है, वह व्यक्ति मिथ्या अहंकार के आधीन होता है।
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