आध्यात्मिक विचार - 31-10-2011


जब किसी व्यक्ति के द्वारा सत्य बात को स्वीकार कर लिया जाता है, तब भी उस व्यक्ति के द्वारा "लेकिन, किन्तु, परन्तु" जैसे शब्दों का प्रयोग होता है, तब उस व्यक्ति को स्वयं ही समझ लेना चाहिये कि वह अभी विवेकशून्य अवस्था में है।

आध्यात्मिक विचार - 29-10-2011


संसार में कोई भी कार्य न तो कभी अच्छा होता है और न ही कभी बुरा होता है, केवल व्यक्ति की भावना ही अच्छी और बुरी होती हैं। 

जब व्यक्ति बुरी भावना से किसी भी कार्य को करता है, तब वह कार्य पाप कर्म बन जाता है। 

जब व्यक्ति अच्छी भावना से उसी कार्य को करता है, तब वही कार्य पुण्य कर्म में परिवर्तित हो जाता है।

जब व्यक्ति कृष्ण भावना में स्थित होकर उसी कार्य को करता है, तब वही कार्य भक्ति-कर्म में परिवर्तित हो जाता हैं।

आध्यात्मिक विचार - 28-10-2011


संसार में बुद्धिमान व्यक्ति वह होता है, जो हमेशा समझने के भाव से शब्दों को लिखता या बोलता है।

आध्यात्मिक विचार - 27-10-2011

संसार में बुद्धिमान व्यक्ति वह होता है, जो किसी के भी द्वारा कहे गये शब्दों का सार ग्रहण करता है। 

आध्यात्मिक विचार - 25-10-2011


संसार में बुद्धिमान व्यक्ति वही होता हैं, जो गुजरे वक्त पर शोक नहीं करता है, जो भविष्य की चिन्ता नहीं करता है, केवल वर्तमान में ही मन स्थिर करके कर्म करता हैं। 

आध्यात्मिक विचार - 13-10-2011


संसार में कोई भी कार्य न तो उत्तम होता है और न ही निकृष्ट होता है, केवल व्यक्ति की भावना ही उत्तम और निकृष्ट होती हैं। 

जिस व्यक्ति की जैसी भावना जिस किसी भी कार्य से जुड़ती हैं, तो वह कार्य उस व्यक्ति के लिये वैसा ही हो जाता है।

आध्यात्मिक विचार - 12-10-2011


जिस व्यक्ति के मन में समर्पण का भाव उत्पन्न हो जाता है उस व्यक्ति को शीघ्र ही प्रभु की कृपा प्राप्त हो जाती है।

आध्यात्मिक विचार - 06-10-2011


कर्म केवल दो प्रकार के होते हैं, सांसारिक और आध्यात्मिक। 

फल की कामना से होने वाले सांसारिक कर्म होते हैं, और फल की कामना के बिना होने वाले आध्यात्मिक कर्म होते हैं।