आध्यात्मिक विचार - 18-11-2014
संत की पहिचान सांसारिक और आध्यात्मिक दो दृष्टिकोणों से होती है।
जो व्यक्ति स्वयं कष्ट झेलकर दूसरों को सुख देने का निरन्तर प्रयत्न करता है, ऎसे व्यक्ति की पहिचान सांसारिक दृष्टिकोण से संत रूप में होती है।
जिस व्यक्ति की समस्त कामनायें परमात्मा का स्पर्श प्राप्तकर शान्त हो चुकी हैं, ऎसे व्यक्ति की पहिचान आध्यात्मिक दृष्टिकोण से संत रूप में होती है।
आध्यात्मिक विचार - 19-06-2014
संसार की सबसे बड़ी शक्ति ब्रह्मास्त्र है, जो प्रत्येक मनुष्य को भगवान के द्वारा प्राप्त है, शब्द "ब्रह्म" स्वरूप बांण के समान होते है और मुख "अस्त्र" स्वरूप धनुष के समान होता है।
जब-जब व्यक्ति अपनी बांणी का प्रयोग अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये करता है तब-तब यह ब्रह्मास्त्र उस व्यक्ति का ही सर्वनाश करता है।
आध्यात्मिक विचार - 22-05-2014
मृत्यु का भय और सुख की इच्छा ही प्रत्येक व्यक्ति के दुखः का मूल कारण होती हैं, जबकि आयु और सुख तो प्रारब्ध (पूर्व जन्म के कर्म-फल) के अनुरूप ही प्राप्त होते हैं।
मनुष्य शरीर प्रभु कृपा से वर्तमान कर्म के द्वारा अमरता और आनन्द प्राप्ति के लिये ही मिलता है, जबकि आयु और सुख तो मनुष्य शरीर की अपेक्षा अन्य शरीरों में बहुत अधिक मात्रा होते हैं।
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