आध्यात्मिक विचार - 01-05-2013


मनुष्य जीवन का लक्ष्य भक्ति-पथ की प्राप्ति।

व्यक्ति को भावनाओं के अधीन न होकर भावनाओं को अपने आधीन रखने का प्रयत्न करना चाहिये।

जो व्यक्ति अपनी भावनाओं को अपने वश में रखकर कर्तव्य-कर्म करता है, केवल वही व्यक्ति भक्ति पथ की ओर अग्रसर हो पाता है।