आज का विचार

शास्त्रों की आज्ञानुसार कार्य करना धर्म होता है, और शास्त्रों के विपरीत कार्य करना अधर्म होता है, धर्म के अनुसार कार्य करना पुण्य-कर्म और धर्म के विरुद्ध कार्य करना पाप-कर्म है।

आज का विचार

शास्त्रों की आज्ञा मानकर आचरण करना धर्माचरण कहलाता है, धर्माचरण से ही पाप कर्मों से बच सकोगे, सत्य-असत्य, पाप-पुण्य को जानने में शास्त्र ही एक मात्र प्रमाण है।

आज का विचार

सत्संग का अर्थ, सत्य का संग, भगवान का नाम, रुप और गुण का संग है वाकी सब असंग है, निरन्तर सत्संग करने से ही भगवान के स्वरूप का दर्शन हो जाता है।

आज का विचार

इस जीवन के मानसिक सुख और दुख इसी जीवन के कर्मो का फ़ल है, इस जीवन के मानसिक सुख और दुख अगले जीवन के शारीरिक सुख और दुख होंगे।

आज का विचार

काम, क्रोध, लोभ और मोह यही जीव के सबसे बडे अन्दरूनी दुश्मन है, इन दुश्मनों को मिटा दोगे तो संसार में कोई दुश्मन पैदा ही नही होगा।

आज का विचार

इस जीवन में जो भी सांसारिक भोग की इच्छा करोगे वह अगले जन्मों में पूर्ण होंगी, जीवात्मा जैसी इच्छा करता है भगवान उसकी वैसी इच्छापूर्ति करते है।

आज का विचार

यह शरीर पूर्व जन्मों के कर्मों के फ़लों को भोगने के लिये मिला है, इस जीवन के शारीरिक सुख और दुख पूर्व जन्मों के कर्मो का फ़ल है।

आज का विचार

राष्ट्र की उन्नति केवल वर्णाश्रम के अनुसार कर्म करने से ही संभव होगी इसलिए देश में शास्त्रीय शिक्षा की आवश्यकता है।

आज का विचार

वर्णाश्रम के अनुसार कार्य करना ही स्वधर्म पालन है, स्वधर्म पालन किये बिना भगवान के निकट पहुँचना असंभव है।

आज का विचार

इस जीवन की सांसारिक कामनायें अगले जन्म मे पूर्ण होंगी, और भगवदीय कामनायें इसी जन्म में पूर्ण हो जायेगी।

आज का विचार

संसार के व्यवहार में केवल कर्त्तव्य बुद्धि रखने से सांसारिक कामनायें कम होंगी, तभी भगवान में मन लग सकेगा।

आज का विचार

इस जीवन-यात्रा की तैयारी तो करके आये हो अब तो ऎसी तैयारी करो जिससे आगे की जीवन-यात्रा मंगलकारी हो।

आज का विचार

कर्तव्य कर्म (स्वधर्म पालन) करते हुए संसार में कार्य करो, परन्तु निस्वार्थ-भाव से प्रेम केवल परमात्मा से करो।

आज का विचार

संसार में कमल के पत्ते की तरह रहो, जिस प्रकार कमल का पत्ता जल में रहते हुए जल का स्पर्श नही करता है।

आज का विचार

मन में क्षणभंगुर संसार का विचार कम करने से कामनायें सिमटने लगेंगी, और मन भगवान में लगने लगेगा।

आज का विचार

क्षणभंगुर सांसारिक स्वार्थों में ही लिप्त रहोगे तो जीवन में भगवान की कृपा-सिद्धि को कैसे प्राप्त कर पाओगे।

आज का विचार

केवल लक्ष्मी के भक्त न बनकर लक्ष्मी-नारायण के भक्त बनोगे, तो लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी।

आज का विचार

परमात्मा से कुछ भी प्राप्त करने की इच्छा ही परमात्म-सिद्धि को प्राप्त करने में सबसे बडी बाधा है।

आज का विचार

भगवान की माया (धन, सम्पदा और परिवार) को प्राप्त करने की इच्छा मत करो, माया-पति (भगवान) को पाने की इच्छा करोगे तो माया तो पीछे स्वयं ही चली आयेगी, क्योंकि माया तो भगवान की एक पतिव्रता स्त्री के समान है।

आज का विचार

जो कुछ भी दिखाई देता है वह सब अनित्य वस्तु (संसार) है, और जो दिखाई नही देता वह नित्य वस्तु है नित्य वस्तु (परमात्मा) का ही अस्तित्व है, अनित्य वस्तु का कोई अस्तित्व नही है।

आज का विचार

संसार के चिंतन से मन अशुद्ध होता है, परमात्मा के चिंतन से मन शुद्ध होता है मन के पूर्ण शुद्ध होने पर ही नित्य अविनाशी आनन्दस्वरूप परमात्मा प्रकट होता है।

आज का विचार

जीवन में शान्ति चाहते हो तो सांसारिक व्यवहार में मन को मत फँसाओ, मन को भगवान में लगाने का प्रयत्न करो, भगवान में मन लगने पर ही मन शान्त होगा।

आज का विचार

अपनी सभी वासना (इच्छा)  रूपी धागों को इकट्ठा करके भगवद्-इच्छा रूपी मोटी रस्सी तैयार करो, इसी रस्सी के सहारे भव-कूप (संसार) से बाहर निकलने का प्रयत्न करो।

आज का विचार

दूसरों को जानने का प्रयत्न करते रहोगे तो स्वयं को कभी नही जान पाओगे, स्वयं को जानने का प्रयत्न करोगे तो एक दिन परमात्मा को भी जान जाओगे।

आज का विचार

पदार्थ (अनित्य वस्तु) वह होता जिसका रुप और आकार बदल जाता है, तत्व (नित्य वस्तु) वह होता जिसका रुप और आकार कभी नही बदलता है।

आज का विचार

स्वभाव का अर्थ होता है अपना भाव, केवल भाव ही अपना है और भाव ही सबसे बलवान है, इस भाव से ही अप्रकट परमात्मा भी प्रकट कर सकते हो।

आज का विचार

फ़ल की इच्छा से कार्य करने से सकाम-भाव की उत्पत्ति होती है, और फ़ल की इच्छा के बिना कार्य करने से ही निष्काम भाव की उत्पत्ति होती है।

आज का विचार

जब तक स्वयं को कर्ता मान कर कार्य करते रहोगे तो बंधन में ही फ़ंसे रहोगे, और अकर्ता बन कर कर्म करोगे तो बंधन से मुक्त हो जाओगे।