आध्यात्मिक विचार - 25-02-2014


दूसरों के हित के लिये किये जाने वाला पाप-कर्म भी पुण्य होता है, और दूसरों के अहित के लिये किये जाने वाला पुण्य-कर्म भी पाप होता है।

आध्यात्मिक विचार - 22-02-2014


कर्म केवल वही होता है जो व्यक्ति को कर्म-बन्धन से मुक्त करता है।

परिणाम की इच्छा के बिना किये जाने वाले कर्मों से ही कर्म-बन्धन से मुक्ति संभव होती है।

परिणाम की कामना से किये जाने वाले पुण्य कर्मों से तो कर्म-बन्धन की ही उत्पत्ति होती हैं।

आध्यात्मिक विचार - 11-02-2014

प्रत्येक व्यक्ति स्वयं ही अपना मित्र और स्वयं ही अपना शत्रु होता है।

जब व्यक्ति दूसरों के सुखों का विचार करता है तब वह स्वयं का मित्र होता है, जब व्यक्ति अपने सुख का विचार करता है तब वही स्वयं का शत्रु होता है।

आध्यात्मिक विचार - 02-02-2014

स्वयं को प्राप्त ज्ञान को सर्वोच्च ज्ञान समझने वाला व्यक्ति वास्तव में अज्ञानी ही होता है।

आध्यात्मिक विचार - 01-02-2014

सुख और दुख तो बुद्धि की कल्पना मात्र है। 
सहज रूप से प्राप्त वस्तु से मन को सुख की अनुभूति और प्रयत्न करके प्राप्त वस्तु से मन को दुख की अनुभूति होती है।