आध्यात्मिक विचार - 28-05-2014


सृष्टि के प्रत्येक कार्य में कल्याण ही छिपा होता है। 

हमारे दुख में स्वयं के सहित अनेकों का सुख छिपा होता है वह सुख तत्काल दिखलाई नहीं देता है, लेकिन विश्वास के साथ धीरज रखने पर कुछ समय के बाद वह सुख प्रकट होने लगता है।   

आध्यात्मिक विचार - 27-05-2014


जो स्वयं को निमित्त समझकर अपने कर्तव्य-कर्म करने में निरन्तर लगा रहता है वह सभी पाप और पुण्य कर्म के बन्धन से शीघ्र मुक्त हो जाता है।

आध्यात्मिक विचार - 25-05-2014


कर्म की विधि का ज्ञान न होने के कारण "जीवात्मा" यानि चेतन प्रकृति बार-बार "शरीर" यानि ज़ड़ प्रकृति की सुख-दुख के भंवर में फंसी रहती है। 

इसलिये व्यक्ति को सतगुरू के शरणागत होकर अपने स्वयं लिये निश्चित की हुई कर्म की विधि को निर्मल मन से जानने की जिज्ञासा करनी चाहिये।


आध्यात्मिक विचार - 22-05-2014


मृत्यु का भय और सुख की इच्छा ही प्रत्येक व्यक्ति के दुखः का मूल कारण होती हैं, जबकि आयु और सुख तो प्रारब्ध (पूर्व जन्म के कर्म-फल) के अनुरूप ही प्राप्त होते हैं। 

मनुष्य शरीर प्रभु कृपा से वर्तमान कर्म के द्वारा अमरता और आनन्द प्राप्ति के लिये ही मिलता है, जबकि आयु और सुख तो मनुष्य शरीर की अपेक्षा अन्य शरीरों में बहुत अधिक मात्रा होते हैं।   

आध्यात्मिक विचार - 21-05-2014


आत्म-विश्वास व्यक्ति को बलवान बनाता है लेकिन जब आत्म-विश्वास के साथ अहंकार जुड़ जाता है तो व्यक्ति दुर्बल हो जाता है।

आध्यात्मिक विचार - 17-05-2014


आँखें व्यक्ति के दिल का आइना होती हैं, आँखों को जो कुछ भी दिखलाई देता है वास्तव में वह उस व्यक्ति के दिल का प्रतिबिम्ब ही होता है। 

आध्यात्मिक विचार - 15-05-2014


जिसप्रकार कैदी जेल के नियमों का पालन किये बिना जेल से मुक्त नहीं हो सकता है, उसीप्रकार व्यक्ति शास्त्रों में वर्णित नियमों का पालन किये बिना जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त नहीं हो सकता है। 

आध्यात्मिक विचार - 07-5-2014


अपने यात्री स्वरूप को जानकर, जीवन रूपी नौका में सवार रहते हुए, "धीरज और विश्वास" रूपी पतवारों के सहारे विचरण करने वाला व्यक्ति संसार रूपी सागर से आसानी से पार हो जाता है।  

आध्यात्मिक विचार - 03-5-2014


जीवन में जब सुखः मिलें, तब समझना चाहिये कि अच्छे कर्मों का फल मिल रहा है।
और 
जीवन में जब दुखः मिलें, तब समझना चाहिये कि अच्छे कर्मों को करने का वक्त आ गया है।