आध्यात्मिक विचार - 31-10-2015

संसार से हमें वही मिल रहा है, जो हमने पूर्व में संसार को दिया था।
भविष्य में भी हमको वही मिलेगा, जो आज हम संसार को दे रहे हैं॥
चाहे वह प्रेम हो ....या धोखा!

आध्यात्मिक विचार -10-06-2015


धर्म और अधर्म की परिभाषा कार्य का उद्देश्य निर्धारित करता है, एक ही कार्य धर्म और अधर्म दोनों ही हो सकता है।

जब कार्य का उद्देश्य स्वार्थ-सिद्धि होता है तो वह कार्य अधर्म कहलाता है, और जब उसी कार्य को परमार्थ-सिद्धि के उद्देश्य से किया जाता है तो वही कार्य धर्म कहलाता है। 

आध्यात्मिक विचार - 07-06-2015


ज्ञानी का अहंकार शास्त्र को शस्त्र बना देता हैं।
शास्त्रों से जीवन का विकास होता हैं, और शस्त्रों से जीवन का विनाश होता हैं।

आध्यात्मिक विचार - 03-06-2015


प्रार्थना से ध्यान श्रेष्ठ है।
प्रार्थना में हम भगवान को अपनी सुनाते है, लेकिन ध्यान में हम भगवान की सुनते हैं।

आध्यात्मिक विचार - 24-04-2015

जिस प्रकार गंगा में मिलकर सभी प्रकार के अपवित्र जल गंगा के समान पवित्र हो जाते हैं, 

उसी प्रकार कर्म प्रारम्भ करने से पहले समस्त कर्म-फलों को मन के द्वारा भगवान को समर्पित करने से समस्त कर्म पवित्र हो जाते हैं। 

आध्यात्मिक विचार - 06-02-2015

जीवन में असफलता ही सफलता के शिखर की चाबी होती है। 

असफलता में व्यक्ति की बुद्धि दिशाहीन हो जाती है, लेकिन जिस व्यक्ति को असफलता में भी दिशा का ज्ञान रहता है वही व्यक्ति सफलता के शिखर को प्राप्त कर पाता है।

आध्यात्मिक विचार - 22-01-2015

स्वयं को मचिस की तीली न बनाना, जो जरा सी रगड़ से सुलग जाये।
बनाना है तो स्वयं को शान्त सरोवर बनाना, जिसमें कोई अंगारा भी फैंके तो वह खुद ही बुझ जाये॥