आध्यात्मिक विचार - 27-5-2012


"काम, क्रोध और लोभ" मनुष्य के तीन प्रमुख शत्रु होते हैं, जो मनुष्य क्रोध और लोभ पर जीत हासिल कर लेता है तब "काम" उस मनुष्य का मित्र बन जाता है।

"लोभ" पर जीत दया की भावना से होती है, और "क्रोध" पर जीत अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थिति में अविचल भावना से होती है। 

आध्यात्मिक विचार - 23-5-2012


दुखों की उत्पत्ति स्वयं के हित की भावना से कार्य करने से होती है, और सुखों की उत्पत्ति दूसरों के हित की भावना से कार्य करने से होती है। 

इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को केवल अपनी भावना को जानने का प्रयत्न करना चाहिये, वह किस भावना से कार्य कर रहा है।

आध्यात्मिक विचार - 21-5-2012


संसार में न कोई किसी का मित्र होता है और न ही किसी का शत्रु होता है। 

जो व्यक्ति तन से कभी अपने कर्तव्य-कर्मों का विरोध नहीं करता है और मन से निरन्तर भगवान का स्मरण करता है, वह व्यक्ति स्वयं का मित्र होता है। 

जो व्यक्ति मन से अपने कर्तव्य-कर्म का विरोध करता है और तन से भगवान की उपासना में लगा होता है वह व्यक्ति स्वयं का ही शत्रु होता है।

आध्यात्मिक विचार - 18-5-2012


वास्तविक उन्नति वह व्यक्ति कर पाता है, जो केवल स्वयं के दोषों को खोजने में सक्षम होता है।

जो व्यक्ति अनुकूलता में भगवान की कृपा, और प्रतिकूलता में केवल स्वयं को दोषी समझता है, वही व्यक्ति समस्त दोषों से मुक्त होकर अचल पद को प्राप्त होता है।

आध्यात्मिक विचार - 9-5-2012


प्रयत्न करना या प्रयत्न न करना केवल मन का कार्य होता है, और सुख और दुख केवल मन की अनुभूति होती है।

प्रयत्न करके प्राप्त सांसारिक वस्तुओं से दुख की अनुभूति होती है, और प्रयत्न किये बिना प्राप्त सांसारिक वस्तुओं से सुख की अनुभूति होती है।

आध्यात्मिक विचार - 7-5-2012


कोई भी कार्य अच्छा या बुरा नहीं होता है।
व्यक्ति की भावना अच्छी या बुरी होती हैं।
व्यक्ति जिस भावना से जो भी कार्य करता है, वह कार्य वैसा ही हो जाता है।

आध्यात्मिक विचार - 5-5-2012


शिक्षक के अधिकार से आचार्य का अधिकार दस गुना अधिक होता है, आचार्य के अधिकार से पिता का अधिकार सौ गुना अधिक होता है, लेकिन माता का अधिकार पिता के अधिकार से भी हजार गुना अधिक होता है।

आध्यात्मिक विचार - 4-5-2012


प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी कार्य का आरम्भ यह विचार करके ही करना चाहिये कि कार्य के अंत होने पर ही विश्राम करुंगा, अन्यथा वह कार्य ही उस व्यक्ति का अंत कर देता है।

आध्यात्मिक विचार - 3-5-2012


प्रकृति की प्रत्येक वस्तु से भय ही उत्पन्न होता है, जहाँ भय होता है वहाँ प्रेम नहीं हो सकता है।