आध्यात्मिक विचार -10-06-2015


धर्म और अधर्म की परिभाषा कार्य का उद्देश्य निर्धारित करता है, एक ही कार्य धर्म और अधर्म दोनों ही हो सकता है।

जब कार्य का उद्देश्य स्वार्थ-सिद्धि होता है तो वह कार्य अधर्म कहलाता है, और जब उसी कार्य को परमार्थ-सिद्धि के उद्देश्य से किया जाता है तो वही कार्य धर्म कहलाता है। 

आध्यात्मिक विचार - 07-06-2015


ज्ञानी का अहंकार शास्त्र को शस्त्र बना देता हैं।
शास्त्रों से जीवन का विकास होता हैं, और शस्त्रों से जीवन का विनाश होता हैं।

आध्यात्मिक विचार - 03-06-2015


प्रार्थना से ध्यान श्रेष्ठ है।
प्रार्थना में हम भगवान को अपनी सुनाते है, लेकिन ध्यान में हम भगवान की सुनते हैं।