आध्यात्मिक विचार - 28-3-2012


जिस प्रकार तन को भोजन से शक्ति प्राप्त होती है, उसी प्रकार मन को परमात्मा के भजन से शक्ति प्राप्त होती है।

आध्यात्मिक विचार - 26-3-2012


जो व्यक्ति निरन्तर स्वयं की वाणी को स्वयं सुनकर समझने का प्रयत्न करता है, वही व्यक्ति दूसरों को समझाने में सक्षम होता है।

आध्यात्मिक विचार - 15-3-2012


प्रेम किये बिना कोई भी व्यक्ति एक पल भी जीवित नहीं रह सकता है। 

जो व्यक्ति संसार से प्रेम करता है, वह सदैव चिंताओं से ग्रसित रहता है।

जो व्यक्ति ईश्वर से प्रेम करता है, वह सदैव चिंताओं से मुक्त रहता है।

आध्यात्मिक विचार - 13-3-2012


जो व्यक्ति कष्टों के प्राप्त होने पर भी मन से कष्टों का चिंतन नहीं करता है, केवल उसी व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है।

आध्यात्मिक विचार - 12-3-2012


गलती हो जाना कोई गलती नहीं होती है, गलती हो जाने से डरना गलती होती है, जान बूझकर गलती करना बड़ी गलती होती है, और गलती से सीख न लेना सबसे बड़ी गलती होती है।

आध्यात्मिक विचार - 11-3-2012


जो व्यक्ति श्रद्धा सहित ईश्वर की भक्ति में एक समान रूप से स्थित रहता है, जिसके मन में अन्य किसी कार्य को करने की इच्छा नहीं होती है, जो कम और सुन्दर बोलने वाला और अधिक सुनने वाला होता है, वही व्यक्ति वास्तविक रूप में संत होता है। 

आध्यात्मिक विचार - 5-3-2012


मनुष्य शरीर स्वर्ण के किले के समान है, इस किले में मन, प्रभु का अत्यन्त सुन्दर मन्दिर है।

इस मन रूपी मन्दिर में प्रेम और सेवा के भाव रूप हीरे और मोतीयों की सीढ़ियाँ बना कर पहुँचा जाता है। 

जो व्यक्ति प्रेम और सेवा के भाव रूपी हीरे और मोतीयों को निरन्तर एकत्रित करता रहता है, उस व्यक्ति का मन रूपी मन्दिर में, एक दिन प्रभु से मिलन हो ही जाता हैं।