आध्यात्मिक विचार - 23-6-2012


केवल वही व्यक्ति भगवान के सच्चे भक्त होते हैं।

जो बीते हुए समय का कभी पश्चाताप नहीं करते हैं, जो भविष्य की चिन्ता नहीं करते हैं।

केवल वर्तमान में ही मन को स्थिर रखकर निरन्तर अपने कर्तव्य कर्म में व्यस्त रहते हैं।

आध्यात्मिक विचार - 22-6-2012


अमृत-तत्व (अमृत्व) और मृत-तत्व (मृत्यु) दोनों तत्व प्रत्येक मनुष्य के शरीर में ही स्थित होते हैं। 

जो व्यक्ति स्वयं को शरीर समझकर और कर्ता भाव में स्थित होकर कर्म करता है, वह व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होता है।

जो व्यक्ति स्वयं को आत्मा समझकर और साक्षी भाव में स्थित होकर कर्म करता है, वह व्यक्ति अमृत्व को प्राप्त होता है।