आध्यात्मिक विचार - 16-11-2013


सुख की प्राप्ति संतुष्टि से होती है, और संतुष्टि की प्राप्ति, केवल पारमार्थिक कर्मों से ही संभव होती है।

आध्यात्मिक विचार - 13-11-2013


अनन्य भाव से प्रभु का चिंतन करना, एकान्त में रहने की इच्छा करना, किसी भी प्राणी के प्रति आसक्ति का न होना, आत्म-तत्व को जानने की इच्छा करना तथा परम-तत्व को प्राप्त करने की इच्छा का होना, यह सब तो ज्ञान होता है, और इनके अतिरिक्त जो कुछ भी है वह सब अज्ञान ही होता है।

आध्यात्मिक विचार - 12-11-2013


प्रत्येक व्यक्ति को जो कुछ भी प्राप्त है उसके खोने का भय (मोह) और उससे अधिक पाने की इच्छा (लोभ) ही व्यक्ति के दुखः के मूल कारण होते हैं।

"मोह" और "लोभ" के कारण ही दुखः की उत्पत्ति होती हैं, मोह के कारण भय की उत्पत्ति होती है और लोभ के कारण चिन्ता की उत्पत्ति होती है। 

आध्यात्मिक विचार - 11-11-2013



जिस प्रकार जिस स्थान के अन्दर निरन्तर भगवान की मूर्ति स्थित रहती है, तो वह स्थान मन्दिर बन जाता है। 

उसी प्रकार जिस मन के अन्दर निरन्तर भगवान का नाम स्थित रहता है, तो वह मन ही मन्दिर बन जाता है। 

आध्यात्मिक विचार - 20-10-2013


प्रत्येक व्यक्ति हमारे स्वयं लिये दर्पण के समान होता है, दर्पण हमें वही दिखलाता है जैसा हम स्वयं होते हैं, संसार में सभी व्यक्तियों में गुण और दोष एक समान रूप में स्थित रहते हैं। 

जिस वक्त हम किसी व्यक्ति की अच्छाई का वर्णन करते हैं उस वक्त हमारे अन्दर गुणों की प्रधानता होती है, तब हमारे द्वारा अच्छा कर्म हो रहा होता है। 

जिस वक्त हम किसी व्यक्ति की बुराई का वर्णन करते हैं उस वक्त हमारे अन्दर दोषों की प्रधानता होती है, तब हमारे द्वारा बुरा कर्म हो रहा होता है।

आध्यात्मिक विचार - 25-07-2013


आध्यात्म को, आत्मा के स्तर से समझने पर मन को शान्ति प्राप्त होती है। 
शरीर के स्तर से समझने पर मन में भय उत्पन्न होता है।

आध्यात्मिक विचार - 24-07-2013


जो व्यक्ति शरीर रूपी पिंजरे से मुक्त होने के लिये ही कर्म करता है केवल वही मनुष्य जीवन व्यतीत करता है, अन्यथा सभी व्यक्ति पशुओं के समान ही जीवन व्यतीत करते हैं।

आध्यात्मिक विचार - 14-06-2013


संसार में जो व्यक्ति जिस अनुपात में समझने की भावना रखता है, वह व्यक्ति उसी अनुपात में बुद्धिमान होता हैं, और जो व्यक्ति जिस अनुपात में दूसरों को समझाने की भावना रखता है, वह व्यक्ति उसी अनुपात में मूर्ख होता है। 

आध्यात्मिक विचार - 09-06-2013


जो व्यक्ति दूसरों के मन को जानने की जिज्ञासा का त्याग करके केवल स्वयं के मन को जानने की निरन्तर जिज्ञासा करता है, केवल वही व्यक्ति भक्ति-योग में स्थित हो पाता है।

आध्यात्मिक विचार - 01-05-2013


मनुष्य जीवन का लक्ष्य भक्ति-पथ की प्राप्ति।

व्यक्ति को भावनाओं के अधीन न होकर भावनाओं को अपने आधीन रखने का प्रयत्न करना चाहिये।

जो व्यक्ति अपनी भावनाओं को अपने वश में रखकर कर्तव्य-कर्म करता है, केवल वही व्यक्ति भक्ति पथ की ओर अग्रसर हो पाता है। 

आध्यात्मिक विचार - 20-04-2013


विशुद्ध प्रेम से ही परमात्मा की प्राप्ति संभव।

विशुद्ध प्रेम न तो बढ़ता है और न ही घटता है, जो प्रेम बढ़ता है वह "राग" होता है और जो प्रेम घटता है वह "द्वेष" होता है। 

जिस व्यक्ति का न तो किसी वस्तु से "राग" होता है और न ही किसी वस्तु से "द्वेष" ही करता है, ऎसा सम-भाव में स्थित व्यक्ति ही परमात्मा को प्राप्त होता है।

आध्यात्मिक विचार - 05-03-2013


प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य आनन्द की प्राप्ति होता है।

वर्तमान में किये हुए कर्म से ही भविष्य का निर्माण होता है, जो व्यक्ति वर्तमान में मन को स्थिर रखकर कर्म करता है उसी व्यक्ति को भविष्य में आनन्द की प्राप्ति संभव होती है।

आध्यात्मिक विचार - 17-02-2013


प्रत्येक मनुष्य का धर्म, व्यक्तिगत होता है। 

भगवान के आश्रित होकर अपने धर्म का निरन्तर आचरण करने वाले व्यक्ति को शीघ्र ही भगवान की भक्ति प्राप्त हो जाती है। 


आध्यात्मिक विचार - 14-02-2013


मन में सद्‍विचार रखने से, वाणी से सत्य बोलने से और शरीर से सत्कर्म करने से ही धर्म का आचरण संभव होता है।  

आध्यात्मिक विचार - 02-01-2013


कर्म से ही कर्म के बंधन की उत्पत्ति होती है, कर्म से कर्म के बंधन से मुक्ति प्राप्त होती है। 

साक्षी भाव में स्थित होने पर ही प्रत्येक व्यक्ति का कर्म-बधंन से मुक्त होना संभव होता है।