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श्रीमद् भगवद् गीता
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सत्संग का अर्थ, सत्य का संग, भगवान का नाम, रुप और गुण का संग है वाकी सब असंग है, निरन्तर सत्संग करने से ही भगवान के स्वरूप का दर्शन हो जाता है।
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