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श्रीमद् भगवद् गीता
श्री राम चरित मानस
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समर्पण
आज का विचार
कामना रहित होकर वर्णाश्रम के अनुसार हर परिस्थितियों को भगवान का प्रसाद समझकर जो भी कार्य किया जाता है, वही नियत कर्म भगवान की आराधना ही है।
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