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जब तक जीवात्मा भक्ति-कर्म या सांसारिक-कर्म सकाम भाव (फ़ल की इच्छा) से करता रहेगा, तब तक जन्म-मृत्यु के बंधन में ही फ़ंसा रहेगा।
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