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क्रोध समस्त विपत्तियों का मूल कारण होता है, क्रोध से ही सांसारिक बंधन उत्पन्न होता है, क्रोध से ही धर्म का नाश होता है, इसलिए क्रोध का सभी परिस्थितियों में त्याग कर देना चाहिये।
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