आज का विचार


जब तक व्यक्ति सम्पूर्ण रूप से दृष्टा-भाव में स्थित नहीं हो जाता है, तब तक व्यक्ति अहंकार से ग्रसित रहता ही हैं। जो व्यक्ति दृष्टा भाव में स्थित हो जाता है, वह न तो किसी की निन्दा करता है और न ही किसी की तारीफ़ करता है, केवल वही यथार्थ रूप से जगत को देख पाता है।