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श्रीमद् भगवद् गीता
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आज का विचार
स्वस्थ तन और धन सम्पत्ति प्राप्त होना प्रारब्ध पर निर्भर करता है, यदि प्रारब्ध में है तो वह मिलेगा ही, इसलिए मन को भगवान के चिंतन में आगे और व्यवहारिक चिंतन में पीछे रखना चाहिये।
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