आज का विचार


ज्ञान-योग की अपेक्षा भक्ति-योग (कर्म-योग) का पथ आसान होता है।

ज्ञान-योगी बुद्धि द्वारा स्वयं के शरीर को साधन मानकर स्वयं पर आश्रित होकर चलता है और भक्ति-योगी बुद्धि द्वारा शरीर को भगवान को सोंपकर भगवान पर आश्रित होकर चलता है।