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श्रीमद् भगवद् गीता
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समर्पण
आज का विचार
ज्ञान-योग की अपेक्षा भक्ति-योग (कर्म-योग) का पथ आसान होता है।
ज्ञान-योगी बुद्धि द्वारा स्वयं के शरीर को साधन मानकर स्वयं पर आश्रित होकर चलता है और भक्ति-योगी बुद्धि द्वारा शरीर को भगवान को सोंपकर भगवान पर आश्रित होकर चलता है।
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