आध्यात्मिक विचार - 18/12/2010

मृत्यु आत्मा की नहीं होती है, शरीर की होती है, शरीर की मृत्यु को स्वयं की मृत्यु समझ लेने वाला व्यक्ति अज्ञानी होता है।

जब व्यक्ति भूल जाता है कि मृत्यु शरीर की होती है आत्मा की नही तभी सांसारिक मोह में फंस जाता है, क्योंकि शरीर तो वास्तव में मृत ही होता है, आत्मा के कारण ही चेतन दिखाई देता है।

जब व्यक्ति शरीर को स्वयं समझता है, और शरीर के नाम को अपना नाम समझने लगता है, शरीर के सुख-दुख को अपना सुख-दुख समझने लगता है, शरीर के कर्म को अपना कर्म समझने लगता है तब वह व्यक्ति अहंकार और मोह से ग्रसित होकर माया के अधीन हो जाता है।