आध्यात्मिक विचार - 31-12-2010


जब तक व्यक्ति असत्य को ही सत्य समझता रहता है तब तक उसके मन में सत्य को जानने की जिज्ञासा ही उत्पन्न नहीं होती है।

जब व्यक्ति यह जान जाता है जो कुछ तन की आँखों से दिखाई दे रहा है वह सब असत्य है, तब व्यक्ति के मन की आँख खुलती है।

मन की आँख खुलने पर ही सत्य को जानने की मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है, तब वह व्यक्ति एक दिन सत्य को खोज ही लेता है।