आध्यात्मिक विचार - 18-01-2011

स्वयं के उद्धार की शुद्ध मन से इच्छा तो करो, भगवान तो सभी जीवात्माओं का उद्धार करने के लिये तत्पर रहते है।

व्यक्ति जब तक शुद्ध मन से स्वयं के उद्धार की इच्छा नहीं करता है तब तक व्यक्ति का इस भवसागर से पार उतरना असंभव ही होता है।

भगवान तो सभी व्यक्तियों को अपने निज-धाम ले जाने के लिये हमेशा उत्सुक ही रहते हैं, लेकिन व्यक्ति संसार छोड़ने के लिये तैयार ही नहीं होता है।