आध्यात्मिक विचार - 05-05-2011


संसार में शास्त्र ज्ञान के समान मन को पवित्र करने वाला अन्य कोई भी साधन नहीं होता है, लेकिन विज्ञान (आचरण) के बिना सम्पूर्ण संसार के ज्ञान का कोई महत्व नहीं होता है।

जो व्यक्ति शास्त्र ज्ञान को प्राप्त करने के बाद उस ज्ञान के अनुसार कर्म नहीं करता है, ऎसे व्यक्ति के लिये उस ज्ञान का कोई अर्थ नहीं होता है, उसका जीवन व्यर्थ हो जाता है।

जो व्यक्ति शास्त्र ज्ञान के अनुसार ही कर्म करता है, वह शीघ्र परम-सिद्धि को प्राप्त कर परम-पद पर स्थित हो जाता है।