आध्यात्मिक विचार - 09-05-2011


शारीरिक सुख और धन-सम्पदा, और अच्छी संतति प्रारब्ध के अनुरूप ही प्राप्त होती है।

स्वस्थ शरीर, धन-सम्पत्ति, अच्छा पति या अच्छी पत्नी और अच्छी संतान की प्राप्ति प्रारब्ध पर ही निर्भर करती है, यदि प्रारब्ध में है तो वह मिलता ही है।

इसलिए मन को भगवान के चिंतन में आगे और सांसारिक व्यवहार के चिंतन में पीछे रखने का अभ्यास करना चाहिये।