आध्यात्मिक विचार - 25-05-2011

जब तक व्यक्ति की बुद्धि इस अनित्य संसार को ही सत्य समझती रहती है, तब तक व्यक्ति अज्ञानी ही होता है।

जब व्यक्ति की बुद्धि इस अनित्य संसार को असत्य समझने लगती है, तभी व्यक्ति के अन्दर सत्य को जानने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है।