आध्यात्मिक विचार - 31-05-2011


एक साधु बनने की अपेक्षा, एक सच्चा गृहस्थ बनना अधिक श्रेष्ठ होता है।

सच्चे गृहस्थ के लिये आत्म-साक्षात्कार करना आसान होता है, क्योंकि सच्चे गृहस्थ में आत्म-नियंत्रण, आत्म-समपर्ण, सेवा का भाव और त्याग की भावना होती ही है।

जिस गृहस्थ में आत्म-नियंत्रण, आत्म-समपर्ण, सेवा-भाव और त्याग की भावना होती है, उसके घर में सभी देवी-देवताओं का निवास होता है, तब उस गृहस्थ का घर ही स्वर्ग बन जाता है।