आध्यात्मिक विचार - 9-5-2012


प्रयत्न करना या प्रयत्न न करना केवल मन का कार्य होता है, और सुख और दुख केवल मन की अनुभूति होती है।

प्रयत्न करके प्राप्त सांसारिक वस्तुओं से दुख की अनुभूति होती है, और प्रयत्न किये बिना प्राप्त सांसारिक वस्तुओं से सुख की अनुभूति होती है।